साहिबगंज: शहर में इन दिनों विभिन्न गोदामों के शहरी क्षेत्र में होने की चर्चा जोरों की चल रही है, साथ ही इन गोदामों के आस पास रहने वाले लोगों ने इन गोदामों को लेकर अपनी तरफ से आपत्ति जताते हुए नगर परिषद से दरखास्त की है की वो इन सभी गोदामों को शहरी क्षेत्र से कहीं दूर स्थांतरित करे, जिसको ले कर कई बार जांच टीम ने इन गोदामों का निरीक्षण करते हुए गोदाम संचालकों और स्थानीय नागरिकों से मुलाकात कर इनकी समस्या को भी समझने की कोशिश की है। अब सवाल उठता है की अगर इन गोदामों को शहरी क्षेत्र से दूर किया कैसे जाए क्योंकि शहर में ज्यादातर गोदाम तो शहरी क्षेत्र में ही हैं, फिर चाहे वो किसी ज्वलनशील पदार्थ को हो या फिर कोई अन्य वस्तु या फिर किसी तरह के कल कारखाने ही क्यों न हो और इन्हें दूसरी जगह स्थांतरित करने के लिए पर्याप्त मात्रा में जगह भी नहीं है, और जहां तक इन गोदामों से होने वाली समस्या का सवाल है तो वो तो कहीं भी खड़ी हो सकती है, वैसे भी ये मामला इतना सीधा है नही जितना की लग रहा है। जानकारों की माने तो ऐसे किसी भी गोदाम को कहीं और स्थांतरित किए जाने के बाद इसका इस तरीके से विरोध कर स्थांतरित करने की मांग का चलन शुरू होने का खतरा है, क्योंकि ये समस्या किसी एक शहर या क्षेत्र की नही है, ज्यादातर शहरी क्षेत्र में अलग अलग चीजों के गोदाम और छोटे स्तर पर चलाए जाने वाले कारखाने भी हैं और यदि एक बार इस तरह की शिकायत पर सरकार या प्रशासन हरकत में आते हुए कोई करवाई करती है तो फिर संभव है की देश के हर राज्य, हर जिले, हर क्षेत्र से इस तरह की मांग उठने लगे जिससे व्यापारियों के लिए व्यापार करना न सिर्फ मुश्किल होगा बल्कि उपभोगताओं को भी इसकी मार झेलनी पड़ेगी, दूसरी समझने वाली बात ये है की शहरी क्षेत्र में यदि कोई व्यापारिक क्षेत्र हो और वहां रहने वाले नागरिकों की संख्या कम हो तो उसे व्यापारिक क्षेत्र ही माना जाता है इस लिए ऐसे क्षेत्रों में दुकानें या किसी अन्य प्रकार के गोदामों के होने पर आपत्ति दर्ज करना भी अपने अपने आप में एक सवाल है, और जहां तक प्रदूषण, सड़क सुरक्षा नियम या फिर अन्य जरूरी नियमों के पालन करने की बात है तो उसकी जांच नियमानुसार की अवश्य जानी चाहिए मगर इसका ये मतलब नहीं होना चाहिए की किसी व्यापार को नियमों की आड़ में चौपट किया जाए। सूत्रों की माने तो इस समय देश के लगभग हर शहर में इस तरह के क्षेत्र हैं जो कहने को तो रिहायशी क्षेत्र हैं मगर इस क्षेत्रों से व्यापारिक गतिविधियों को चलाया जा रहा है, और इससे न सिर्फ सरकार को टैक्स की आमदनी होती है बल्कि स्थानीय मजदूर वर्ग को भी इसका बड़ा फायदा मिलता है, सरकार या प्रशासन को ये भी ध्यान देने चाहिए की ऐसे क्षेत्रों में कितने प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन पर इसका सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, हम ये नही कह रहे हैं की प्रशासन ऐसे किसी भी मामले को लेकर पूरी तरह से निष्क्रियता दिखाए मगर हर चीज के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए करवाई की जाए तो बेहतर है, आज हमने इस विषय पर दोनों पक्ष शिकायतकर्ताओं और मजदूरों से बात की एक ओर जहां शिकायतकर्ता जहां अपने जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए शिकायत करते दिखे तो वहीं दूसरी ओर मजदूर वर्ग अपनी रोटी के लिए जूझता दिखा। यदि ध्यान से देखा और समझा जाए तो वर्तमान में राज्य में कई ऐसे मुद्दे देखने को मिलेंगे जो इसका उद्धारण देते नजर आएंगे, इस लिए इस तरह की किसी भी ऐसी व्यवस्था को लागू करने से पहले एक बार ये समझना आवश्यक हो जाता है की भविष्य पर उसका असर क्या पड़ेगा।