रविवार, 25 अप्रैल 2021

झाजी कहिन्

वाह, विचित्र है भारत में राष्ट्र भक्ति। 

  लोगों को डराओ मन लगता है। सरकार, चाहे जिस किसी की हो, को बदनाम करो मजा आता है।  

   मैं कहता हूँ कि लोग कहते हैं कि कोरोना का कहर जारी है इससे वहाँ इतने लोग मर गए।बात डरने वाली अवश्य है,और डरना भी चाहिए , लेकिन कोई कहने वाला नहीं है कि इतने लोग संक्रमण से उबरने के बाद घर पहुँच गए हैं और सुरक्षित हैं। मरने वाले मात्र 1% भी नहीं है लेकिन 99% जिसे इस संक्रमण से मुक्ति मिली ,संक्रमण काल से गुजर कर घर आए हैं उन्हें तो सामने आना चाहिए ताकि लोग डर के माहौल से बाहर आ सकें। कहाँ हैं वे 99% लोग?कृपया आपलोग सोशल मीडिया पर आकर कुछ ऐसा माहौल तैयार करें और बताएँ कि आपको ऐसा हुआ था और अब आप पूरी तरह से स्वस्थ हैं। 

    लेकिन आज मैं केजरीवाल साहब पर चर्चा के लिए आया हूँ। राज्य के किसी भी मुख्यमंत्री को लीजिये चाहे वो किसी भी पार्टी का हो , कोरोना संक्रमण काल से गुजर रही इस कालखंड को त्रासदी मानते हुए अपने सारे इन्तजाम में लगे हैं। कोई टी वी पर आकर रोते नहीं हैं। 

      मुझे सबसे बुरा दिल्ली के मुख्यमंत्री आदरणीय अरविंद केजरीवाल साहब को देखकर लगता है कि डर का माहौल बनाकर वे क्या सिद्ध करना चाहते हैं?दिल्ली पर जब भी कोई आफत आए वे सीधा हाथ खड़ा कर सोशल मीडिया पर आकर रोने गाने लगते हैं।पहले संक्रमण काल में उन्होंने अपने को पुरी तरह से कोरंटाइन कर लिया था।जबकि यहाँ हेमंत सोरेन जी का परिवार संक्रमित हैं, योगी जी स्वयं कोरोना के चपेट में आ गए हैं फिर भी दोनों लगातार जनता की चिंता में लगे हैं। लेकिन उधर केजरीवाल साहब का देखिए। इस बार वे लगातार टी वी पर आकर रोते हुए जनता से सहानुभूति प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। आप क्या समझते हैं मीडिया उनसे पैसे नहीं लेते हैं। दिल्ली वालों के पैसे चुकाकर वे वहाँ रोते हैं। जितना पैसे वे मुंह सुखाकर रोने गाने में लगाते हैं उतना में तो वे कई बेड और ऑक्सीजन सिलिन्डर जुटा सकते हैं। खांस खांसकर अन्ना हजारे जैसे गुणी लोगों को साइड कर सत्ता पा लिया अब रो गाकर उसे बरकरार रखने का प्रयास करते हैं और विडम्बना देखिए कि इतना माहिर की जनता की नब्ज को पुरी तरह से समझ उसी के अनुरूप उनकी भावनाओं से खेलते हैं। अभी देखिए पहले सारा समय खांसी में जाता था जबकि दिल्ली पर खतरा है फिर भी उनके चेहरे पर रौनक है। अरे भाई आप मुख्यमंत्री हैं आपका ही दायित्व बनता है। आप ही डरते हो तो आपकी जनता में भगदड़ मचेगी ही। केन्द्र सरकार को फँसाने की कोई कसर नहीं छोड़ते हैं आप जबकि यह पुरी तरह से राज्य सरकार के अधीन है। राजनीति है भाई। अब देखिए ना कल PM तथा CM की गुप्त मीटिंग को ब्राडकास्ट कर अपने शातिराना राजनीति का परिचय दिया और देखिये माफी मांगने में भी कोई दिक्कत नहीं हुई । वाह केजरीवाल साहब आपने तो राजनीति की दिशा और दशा दोनों ही बदल दी है।

लेख

*सुबोध*

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